भारत में कोरोना से प्रभावित मरीजों की संख्या दिन भर दिन बढ़ती जा रही है। अगर यह संख्या इसी तीव्रता के साथ इसी तरह बढ़ती गई तो भारत विश्व में कोरोना वायरस से प्रभावित मुख्य देशों की सूची में जल्दी ही शामिल होने वाला है। वर्तमान में भारत सरकार द्वारा कोरोना से बचाव हेतु जो प्रयास किए जा रहे है वह ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। यदि भारत की सरकार केवल लोक डाउन या कर्फ्यू लगाकर इस समस्या का समाधान करने हेतु कसम खा चुकी है तो यह सरकार की सबसे बड़ी भूल होगी जब भारत कोरोना रूपी काल का थाल बना लिया जाएगा जबकि सरकार चाहे तो अपने खज़ाने से दिल खोलकर स्वास्थ्य सेवाओं पर धन खर्च करे और बेहतरीन सुविधाएं उपलब्ध कराए तो असंभव भी संभव हो सकता है। देश का नोज़वान इस काम के लिए तैयार खड़ा है किंतु सरकार उनको आगे आने के लिए अपील तक नहीं कर रही है।
भारत की सरकार को पिछले लगभग ढाई महीने से सोचते सोचते यह दिन आ गया की कोरोना के मरीजों की संख्या सैकड़ा अंक से हजार अंकों की तरफ बढ़ने लगी है किंतु भारत की सरकार ने अभी तक एक उचित वित्तीय सहायता राशि की घोषणा तक नहीं की जिससे कोरोना के संक्रमण से जनता को बचाया जा सके। देश के प्रधानमंत्री की इस वित्तीय घोषणा न करने की दिशा में लगता है कि भयंकर बीमारियों का इलाज भी भाषण के माध्यम से एवं घरेलू नुस्खों से करवाया जाएगा किंतु काल बनकर आया कोरोना इतनी आसानी से नियंत्रण में आने वाला नहीं है, उसको नियंत्रित करने के लिए उचित प्रबंध करने की आवश्यकता है। विश्व के अमीर कहे जाने वाले देश जो कोरोना से प्रभावित हैं और उनके पास स्वास्थ्य की उच्च तकनीकी सेवाएं भी उपलब्ध है उनकी भी सांसे फूलने लगी है। जहां स्वास्थ्य के क्षेत्र में नजर डालें तो उन विकसित देशों की तुलना में भारत कोसों दूर तक भी खड़ा हुआ नजर नहीं आता है फिर इस समस्या के समाधान हेतु कंजूसी क्यों बार रहा है? भारत में स्वास्थ्य के विषय पर सरकार ने कभी गहनता से सोचा ही नहीं और नहीं कभी सरकारों ने यह कल्पना भी की होगी की इस प्रकार की भयंकर महामारी भारत में घर कर जाएगी।
जिस देश में नर्सिंग स्टाफ ही मास्क एन-95, सर्जरी मास्क, दस्ताने के लिए मोहताज हो रहा है और सर्विस प्रोवाइडर्स को अपनी खुद की सेफ्टी के लिए कोई सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो रही है तो मरीजों की बात करना कितना मुनासिफ होगा। मरीजों की भर्ती से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि यदि मरीजों की संख्या इसी प्रकार लगातार बढ़ती रही तो शायद हॉस्पिटल के बिस्तर एवं हॉस्पिटल ही कम पड़ जाएंगे। इस महामारी से निपटने के लिए भारत की सरकार ने अभी तक कोई कड़ा कदम नहीं उठाया है । सबसे प्रमुख बात यह है कि भारत की सरकार को क्यों नहीं समझ आ रहा है कि हर गली मोहल्ले में कोरोना की मुफ्त टेस्टिंग करने, मास्क एवम् सेनिटाइजर वितरित करने का कार्य जल्दी प्रारंभ किया जा सके और इसके लिए उचित प्रबंध किए जाएं परंतु इस दिशा में सरकार का कोई आला अधिकारी बात नहीं कर रहा है साथ ही साथ कुछ राज्य सरकारों ने ₹1000 एवं कुछ राज्य सरकारों ने ₹3000 की वित्तीय सहायता राशि असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को प्रदान करने की घोषणा की है किंतु इस देश में हजारों की तादात में ऐसे मजदूर है जो सरकार के किसी भी बोर्ड में रजिस्टर्ड नहीं है और यदि वह रजिस्टर्ड नहीं है तो उन तक यह सहायता राशि किस प्रकार पहुंचाई जाएगी और उसकी क्या व्यवस्था एवं प्रक्रिया होगी इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। सरकार द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत जो राशन देने की बात की गई है वह राशन केवल राशन कार्ड धारकों को ही मिलेगा किंतु जो प्रवासी मजदूर है उन मजदूरों के राशन के संबंध में कहीं पर भी कोई लिखित जानकारी एवं प्रक्रिया नहीं दिखती है।
कुछ राज्य सरकारों ने राज्य के प्राथमिक नियोक्ताओं को निर्देश तो जारी किए हैं कि वह अपने कर्मचारियों को काम से ना निकाल कर उनको आर्थिक सामाजिक सुरक्षा प्रदान करें किंतु यह सामाजिक सुरक्षा उन मालिकों एवं प्राथमिक नियोक्ताओं द्वारा मजदूरों को दी जा रही है या नहीं दी जा रही है इसका निरीक्षण कौन करेगा और कैसे करेगा ? इसके बारे में भी सरकार द्वारा जारी निर्देश साइलेंट नजर आ रहे हैं। देश में 8.5 मिलियन कंस्ट्रक्शन वर्कर है यह कंस्ट्रक्शन वर्कर जो कि निर्माण मजदूर है और यदि यह बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर बोर्ड में रजिस्टर्ड है तो इनको आर्थिक सहायता दी जाएगी जिसकी घोषणा आज भारत के श्रम मंत्री ने की जिसकी सराहना की जानी चाहिए किंतु देश में तीन से चार मिलियन सेक्स वर्कर है उनकी आने वाले दिनों में जो हालत होने वाली है उसके बारे में सरकार चुप है या सोच ही नहीं रही है क्योंकि भारत में इन सेक्स वर्कर को एक वर्कर्स का दर्जा नहीं मिला है किंतु यह संख्या महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा बताई गई है। आज क्यों नहीं श्रम मंत्रालय पहल करके इन तमाम सेक्स वर्कर्स को विशेष दर्जा देते हुए सामाजिक सुरक्षा मुहैया कराने हेतु आदेश जारी करे ?
इसी प्रकार जहां इस देश में 5 मिलियन सफाई कर्मचारी एवं 4 मिलियन कचरा कामगार इस देश को स्वच्छ बनाने के लिए अपनी अहम भूमिका अदा कर रहे हैं किंतु आज उनके पास में किसी प्रकार का कोई सुरक्षा का उपकरण नहीं है, न उनके पास दस्ताने है, न उनके पास जूते हैं, न उनके पास किसी अन्य प्रकार की सुविधाएं है जिससे कि वह अपने स्वयं की रक्षा कर सकें। आज इन समस्त कामगारों कि आजीविका भी खतरे में पड़ गई है। यह कचरा कामगार सरकार के किसी भी बोर्ड में भी रजिस्टर नहीं है ऐसी स्थिति में इन कचरा कामगारों की भूखा मरने की नौबत तक आ गई है और आने वाले दिनों में अर्थव्यवस्था चरमराती दिखने के संकेत हो रहे है। इनकी हालत और भी खराब स्थिति में जा सकती है।
4 मिलियन घरेलू कामगार जिनको काम छोड़ कर अपने घर ही बैठना पड़ रहा है उनको कोई जानकारी नहीं है कि वह कहां पर सामाजिक सुरक्षा प्राप्त कर सकती है और कर्फ्यू के माहौल में जहां घर से बाहर निकलना संभव नहीं है वहीं उन्हें घर बैठे कैसे सरकार सहायता पहुंचाएगी ? इस पर भी कोई जानकारी नहीं है।
इस देश में 2 मिलियन से ज्यादा बेघर एवं बेसहारा इंसान फुटपाथ के किनारे जिंदगी काट रहे हैं उन तमाम लोगों को सरकार किस प्रकार राहत पहुंचाएगी इसके बारे में केंद्र सरकार की ओर से कोई निर्देश जारी नहीं है। कुछ राज्य सरकारों ने इस संबंध में बेघर लोगों के लिए भोजन की घोषणा की है।
आने वाले दिनों में जब देश की अर्थव्यवस्था संकट में पड़ेगी तब देश की सरकार द्वारा जो कदम बढ़ाए जाएंगे उसकी योजना सरकार को अभी बनाने की आवश्यकता है साथ ही सरकार को स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्य करने हेतु एक बड़े बजट की एवम् योजना की आवश्यकता है उसके बारे में अभी से सरकार को कमर कसने की जरूरत है।